Monday, June 9, 2014

The ancient Egyptian god Amun, were self-Sri Hari Vishnu?

 
क्या प्राचीन मिस्त्र के देवता अमुन, स्वयं श्री हरि विष्णु थे ?

क्या आप जानते हैं कि..... मिस्र के बहुचर्चित पिरामिड ही सिर्फ हमारे हिन्दू मंदिरों की नक़ल नहीं है बल्कि...... हमारे भगवान श्रीकृष्ण को मिस्र में भी पूजा जाता है ..एवं ...जगन्नाथ यात्रा की ही तरह ... मिस्र में भी जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है...!

यह सुनने में थोडा अटपटा जरुर लगता है.... लेकिन, ये पूर्णतः सत्य है....!

दरअसल.... भगवान् श्रीकृष्ण को मिस्र में.... ""अमन देव "" कह कर पुकारा जाता है....!

मिस्र के अमन देव को हमेशा को ही नील नदी के ऊपर चित्रित किया जाता है..... एवं , उन्हें नील त्वचाधारी के रूप में बताया जाता है...!

सिर्फ इतना ही नहीं..... भगवान अमन देव के सर की पगड़ी के ऊपर.... मोर के दो पंख लगे होने अनिवार्य हैं.....!

और.... मिस्र में ऐसी मान्यता है कि.... इन्ही अमन देव ने...... सृष्टि की रचना की है....!

अब... हिन्दू धर्म के बारे में थोड़ी सी भी जानकारी रखने वाला बच्चा भी..... यह बता देगा कि..... उपरोक्त वर्णन भगवान श्रीकृष्ण का है ...... और, हमारे ... पद्म पुराण.. विष्णु पुराण से लेकर श्रीमदभागवत गीता और महाभारत तक में ... उपरोक्त वर्णन देखा जा सकता है...!

सभी पुराणों एवं धार्मिक ग्रन्थ में भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है...... एवं... भगवान श्रीकृष्ण को नील त्वचा धारी .... मोर पंख युक्त ....क्षीर सागर के ऊपर चित्रित किया जाता है....!

सिर्फ इतना ही नहीं..... हमारी जगन्नाथ यात्रा की हूबहू नकल ... हमें अमन देव की यात्रा में मिलता है....!

जिस तरह ..... हमारे जगन्नाथ यात्रा में.... पहले भगवान श्रीकृष्ण , सुभद्रा एवं बलराम की प्रतिमा को नहलाकर कर .... एवं , नए वस्त्रों एवं आभूषणों से सुसज्जित कर .... ढोल-नगाड़े तथा बेहद धूम-धाम से यात्रा निकाली जाती है .....

ठीक उसी प्रकार..... मिस्र में भी.... अमन देव, मूठ एवं खोंसू ...... के त्रैय प्रतिमा को नहलाकर .... नए वस्त्रों एवं आभूषणों से सुसज्जित कर .... बेहद धूम-धाम एवं .. उल्लास के साथ .... ये यात्रा निकाली जाती है....!

और तो और.... भारत में हम हिन्दुओं की ये रथयात्रा .... मानसून से प्रारंभ के कुछ समय बाद ..... पुरी के जगन्नाथ मंदिर और गुंडीका मंदिर को जोडती है... जिसकी दूरी लगभग 2 किलोमीटर है....!

तथा... आश्चर्यजनक रूप से ... मिस्र में भी ये रथयात्रा जुलाई के महीने में ही...... कर्णक मंदिर और लक्सर मंदिर को जोडती है..... जिनके बीच की दूरी लगभग 2 मील है....!

हमारे रथयात्रा के ही समान.. अमन देव की भी रथयात्रा में..... भव्य एवं बेहद सुसज्जित रथों का प्रयोग किया जाता है...... जिन्हें खींचने के लिए .... किसी मशीन अथवा जानवर का प्रयोग नहीं किया जाता है ..... बल्कि, भक्त स्वयं उन्हें अपने हाथों से खींचते हैं....!

इसीलिए... किसी को इस बात पर रत्ती भर भी संदेह नहीं होना चाहिए कि........ मिस्र का अमन देव यात्रा ... और, नहीं बल्कि.... हमारी जगन्नाथ यात्रा ही है...... परन्तु.... जगह, भाषा एवं सामाजिक तानाबाना के परिवर्तन के कारण..... उसे .... जगन्नाथ यात्रा की जगह अमन देव की यात्रा कहा जाने लगा.....!

दरअसल हुआ ये कि....

आज से लगभग 3000 ईसा पूर्व में हमारे हिंदुस्तान और मिस्र के पहले फिरौन के साथ व्यापक व्यापार संबंध थे..... तथा, भारत से मिस्र में ..... मलमल कपास, मसाले, सोने और हाथी दांत.... वगैरह बहुतायत में निर्यात किए जाते थे....!

इसीलिए.... भारतीय व्यापारियों का व्यापार के सिलसिले में ..... मिस्र में हमेशा आते-जाते रहने से.... वहां से सामाजिक और धार्मिक प्रणालियों पर हमारे हिंदुस्तान का बेहद गहरा प्रभाव पड़ा...... और, मिस्र के लोक कला ..... भाषा... जगह के नाम ... एवं, धार्मिक परम्परा पर हिन्दू सनातन धर्म ने एक अमिट छाप छोड़ा....!


कदाचित .... यह भी संभव है कि...... मिस्र पर पहले हम हिन्दुओं का ही वर्चस्व रहा हो..... और, इन हजारों-लाखों सालों में.... मिटते-मिटते भी............ पिरामिड एवं रथयात्रा जैसे कुछ चीज..... हिन्दू सनातन धर्म के प्राचीन गौरव, महानता एवं व्यापकता की गवाही देने के लिए बचे रह गए हों....!

इसीलिए हिन्दुओ..... खुद पर लज्जित होकर अथवा मनहूस सेकुलरों के बहकावे में आकर ........ धर्मनिरपेक्ष ना बनें....

बल्कि.... अपने गौरवशाली इतिहास एवं उसकी व्यापकता को जानकर उस पर अभिमान करें....

और... मुँह झुका कर एवं शर्मिन्दिगी भरे स्वर में ... खुद को सेकुलर कहलाने की अपेक्षा....

गर्व से कहें ....... हम हिन्दू हैं....!

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