India is basically invented chess, chess game that impaired version (version) s, see here - www.chessvariants.org / historic.dir / chaturanga.html Persia game from here and went to Persia and Arabia in the Arab reach European countries. Karnamak called in Persian. Arbwale on the Shatrnj, chess etc. began to play chess the way of the changes gradually been corrupted and today it has reached in its present form ...
G Veda is a text "Tithittw". Veda is described in detail Tithittw live chess, is this - "Four men play this game. The screen (checkerboard) is of 64 homes that sit around playing. East and west and north of a team sits There is another group sits in the south. direct player a king, an elephant, a horse, a boat and four are off or on foot. east side of the marbles red, yellow west, south and north of the dark green the. King could walk around the house. walk off or go directly to quantify the only one home at the time of the stone hitting a home can go diagonally forward. elephant around (not diagonally) is running. The horse had three home diagonally. yacht could be two diagonally home. Pieces etc. Often the order; was the same, as it is nowadays. defeat had of winning. alike - Sinhsn, Chaturaji, Nripakrisht, hexapod Kakkasht , etc. Brihnnauka.
This game Ravana Mandodari Yuddhskt her husband had been seeing. With proof of this is written in the scriptures, www.hinduwisdom.info/
The game was playing on a 8x8 square of the octonarian used to say, (see picture)
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Hari ॐ
in Hindi -
शतरंज का आविष्कारक - सनातनी भारत . Inventor of Chess - Ancient India
शतरंज मूलतः भारत का आविष्कार है, यह चतुरंग खेल का बिगड़ा हुआ संस्करण (वर्जन) है, यहाँ देंखे - www.chessvariants.org/
वेदव्यास जी का एक ग्रन्थ है "तिथितत्व". तिथितत्व में वेदव्यास जी चतुरंग का विवरण बताया है, ये इस प्रकार है - "चार आदमी यह खेल खेलते है। इसका चित्रपट (बिसात) ६४ घरों का होता है जिसके चारो ओर खेलने वाले बैठते है। पूर्व और पश्चिम बैठनेवाले एक दल में और उत्तर दक्षिण बैठनेवाले दूसरे दल में होते है। प्रत्यक खिलाड़ी के पास एक राजा, एक हाथी, एक घोड़ा, एक नाव और चार बट्टे या पैदल होते है। पूर्व की ओर की गोटीयाँ लाल, पश्चिम की पीली, दक्षिण की हरी और उत्तर की काली होती है। राजा चारों ओर एक घर चल सकता है । बट्टे या पैदल यों तो केवल एक घर सीधे जा सकते है, पर दूसरी गोटी मारने के समय एक घर आगे तिरछे भी जा सकते है । हाथी चारों ओर (तिरछे नहीं) चल सकते है। घोड़ा तीन घर तिरछे जाता था । नौका दो घर तिरछे जा सकती थी । मोहरे आदि बनाने का क्रम प्राय; वैसा ही था, जैसा आजकल है । हार जीत भी कई प्रकार की होती थी । जैसे,—सिंहसन, चतुराजी, नृपाकृष्ट, षट्पद काककाष्ट, बृहन्नौका इत्यादि।
यह खेल मंदोदरी ने अपने पति रावण को युद्धसक्त देखकर निकाला था। ग्रंथो मे ये बात प्रमाण के साथ लिखी है, www.hinduwisdom.info/
http://www.lankapuvath.lk/
ये खेल एक ८x८ के वर्ग पर खेल जाता था जिसे अष्टपद कहते थे, (चित्र देखें)
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